बिहार बॉक्सिंग के बदहाली की दास्तान भाग 3

नमस्कार मित्रों जैसा कि मैंने पिछले लेख में राजीव कुमार सिंह का जीवन परिचय दिया था और बताया था यह कैसे विलक्षण गुण संपन्न मनुष्य हैं। तो चलिए आज हम आगे जानते हैं बिहार बॉक्सिंग एसोसिएशन में हो रहे लाखों के घोटालों के बारे में।
मित्रों इस खेल को बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार प्रत्येक वर्ष लाखों रुपए का आर्थिक अनुदान बॉक्सिंग एसोसिएशन आॅफ बिहार को देती है जिससे कि बिहार के खिलाड़ियों का कल्याण हो सके परंतु वह पैसा बिहार के खिलाड़ियों तक पहुंच नहीं पाता। उस पैसे का एक रुपया भी बिहार के किसी जिले में राजीव कुमार सिंह द्वारा खर्च नहीं किया जाता है, तो आखिर प्रश्न उठता है वह पैसा जाता कहां है? वह पूरा का पूरा पैसा बॉक्सिंग एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव राजीव कुमार सिंह फर्जी बिल दिखाकर गबन कर जाते हैं ।
जो बाॅक्सर नेशनल खेल कर वापस बिहार लौटते हैं उस वक्त उनसे सादे (खाली) कागज पर जबरन हस्ताक्षर करवाया जाता है ताकि खिलाड़ियों का टीए एवं डीए का फर्जी बिल दिखाकर पैसा गबन कर सकें। अगर राजीव कुमार सिंह महाराजा हरिश्चंद्र है तो फिर यह ऐसा नीच काम आखिर क्यों करते हैं? वह इतने पर भी नहीं रुकते हैं यहां तक कि खिलाड़ियों को दिया गया ट्रैकसूट भी लौटने पर वापस उतरवा लेते हैं । उसी ट्रैकसूट को बार बार इस्तेमाल किया जाता है जबकि जब-जब टीम नेशनल जाती है तब-तब ट्रैकसूट का फर्जी बिल बनाकर पैसा निकाला जाता है।
चलिए अब बात करते हैं पटना में आयोजित राज्य स्तरीय बॉक्सिंग प्रतियोगिताओं की। यहां पर एंट्री फी के नाम पर ₹500 प्रत्येक खिलाड़ी से लिया जाता है जिसकी कोई भी रसीद खिलाड़ियों को नहीं दी जाती है और यह सारा का सारा पैसा राजीव कुमार सिंह की काली कमाई में चली जाती है और खिलाड़ियों को सुविधा के नाम पर एक मच्छरनुमा हाॅल रहने के लिए दिया जाता है एवं दो टाइम घटिया श्रेणी का खाना दे दिया जाता है, मित्रों कभी-कभी तो यह खाना भी गायब कर दिया जाता है। हाल फिलहाल में इन्होंने एक नया नियम भी लागू किया है, इसको उदाहरण के तौर पर समझाता हूं - तीन दिवसीय राज्यस्तरीय
बॉक्सिंग प्रतियोगिता का आयोजन पटना में किया जाता है, भागलपुर जिला से  30 खिलाड़ी भाग लेने पटना पहुंचते हैं इसमें से एक भी खिलाड़ी 3 दिन के इस खेल में अगर पहले ही दिन हार जाता है तो उस दिन से उसके खाने और रहने की व्यवस्था उससे छीन ली जाती है, ऐसा घटिया कार्य मैंने आज तक देश के किसी कोने में नहीं देखा है। इस तरह की व्यवस्था पटना में आयोजित हुए प्रभात खबर प्रो बॉक्सिंग प्रतियोगिता के समय से बिहार बॉक्सिंग में लागू की गई है। इसके अलावा खेल का आयोजन कराने हेतु बहुत से प्रायोजक भी पैसों का दान करते हैं परंतु वह भी राजीव कुमार सिंह की काली कमाई में चला जाता है क्योंकि ना तो राजीव कुमार सिंह उन पैसों का रसीद प्रायोजकों को देते हैं और ना ही वह पैसा बॉक्सिंग एसोसिएशन ऑफ बिहार के बैंक खाते में जाता है। मित्रों मैं आज भी कहता हूं मुझे बहुत खुशी होगी अगर राजीव कुमार सिंह साक्ष्य के साथ मेरी इन बातों का खंडन करते हैं। मेरे बिहार में बॉक्सिंग खेलने वाले बच्चों का यह पैसा कहां जा रहा है यह तो आप पूर्व में दिए गए राजीव सिंह के जीवन परिचय से समझ ही गए होंगे अंत में मेरी आपसे यही विनती है कि इस भ्रष्टाचारी के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें तभी हमारा बिहार आगे बढ़ सकेगा।
अपने इस लेख को महान कवि दुष्यंत जी की प्रेरणादायक कविता के साथ आज के लिए समाप्त करता हूं।

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।

आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी,
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए।

हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में,
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए।

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए।

मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही,
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।
- दुष्यन्त कुमार

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